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मिशन ज़िंदगी संगठन के पदाधिकारी ने एक मजबूर बुज़ुर्ग की ‘मिशन ज़िंदगी’के उद्देश्य “सेवा परमो धर्म:”के तहत निस्वार्थ सेवा कर बुज़ुर्ग की दुआएं लीं।

मिशन ज़िंदगी संगठन के पदाधिकारी ने एक मजबूर बुज़ुर्ग की ‘मिशन ज़िंदगी’के उद्देश्य “सेवा परमो धर्म:”के तहत निस्वार्थ सेवा कर बुज़ुर्ग की दुआएं लीं।

जौनपुर/उत्तर प्रदेश
दिनांक 03/10/2023

भारत हमेशा से ही ‘सेवा परमो धर्म:’ के सिद्धांत पर चलने वाला देश रहा है और कोरोना कालखंड में हमारे संगठन “मिशन ज़िंदगी”ने इस सिद्धांत पर यथार्थ की स्याही से स्वर्णाक्षर लिख दिए हैं। भारतीय संस्कृति में सेवा क्रिया से ज्यादा भावना का विषय है, जो कि इसे अंग्रेजी के
शब्द ‘सर्विस‘ से अलग करता है। ‘सर्विस’ कुछ पाने के लिए दी जाती है और सेवा पूर्णत: निःस्वार्थ भाव से समाज के प्रति अपने कर्तव्य को जानकर की जाती है। और “मिशन ज़िंदगी”संगठन इसी पर बड़ी तल्लीनता और लगन के साथ कार्य कर रही है।

दोपहर का समय था मिशन ज़िंदगी के सदस्य कलीम सिद्दीक़ी अटाला मस्जिद की ओर से सब्ज़ी मंडी के लिए जा रहे थे कि डॉक्टर दानिश की पुरानी क्लिनिक के पास एक बुज़ुर्ग बेबसी की हाल में सड़क पर बैठे हुए थे और उनकी हाथ की उंगलियां फटी हुई थी और काफी चोटिल हो गई थी। जैसे ही नज़र पड़ी तुरंत उस बुज़ुर्ग के पास पहुंचे और देखा तो बुज़ुर्ग की आंखों में आसूं थे। बेबसी साफ नज़र आ रही थी। साइकिल का गियर और चैन आपस में बुरी तरह फंस भी गए थे। तुरंत मिशन ज़िंदगी के सद्स्य ने किसी तरह से बुज़ुर्ग की साइकिल को सही किया और बुज़ुर्ग से बात करने पर पता चला कि चक्कर आ जाने की वजह से वह गिर गए थे और उनकी उंगली फट गई शरीर में और जगह काफी चोटें आईं। उनकी साइकिल सही हुई उनको पास में ही क्लिनिक पर ले जाया गया प्राथमिक उपचार उपरांत वो अपने घर के लिए चले गए। मिशन ज़िंदगी आपको भी यह संदेश देने का काम करती है कि आप भी लोगो की मदद करें सड़कों पर चौराहों बाजारों में कोई किसी गंभीर मुसीबत या परेशानी में है तो उसके लिए आप इंसानियत के नाते देवदूत बन जाएं! मसीहा बन जाएं! नजरंदाज करके आगे न बढ़ जाएं आप सबसे अलग होने का उदाहरण पेश करें।

कोरोना काल में तत्कालीन जिलाधिकारी श्री दिनेश कुमार सिंह के कार्यकाल में ‘मिशन ज़िंदगी’ के संरक्षक एवम समाजसेवी ने पूरे जनपद में सबसे ज्यादा मास्क वितरण किए।

इसी निःस्वार्थ भाव से विगत कई वर्षों से अधिक की कालावधि से सैकड़ों-हजारों कार्यकर्ता, संस्थाएं दिन-रात समाज सेवा में लगे हुए हैं। लोगों को आवश्यकता के अनुरूप और समय के मांग के अनुसार भोजन सामग्री बांटने, चिकित्सा सुविधाओं की आपूर्ति करने, अपने स्वास्थ्य का सम्पूर्ण ध्यान रखकर अन्य लोगों की सहायता करने में मिशन ज़िंदगी के लोग जुटे हुए हैं। परंतु यह सागर से कुछ बूंदें निकालकर आपके सामने प्रस्तुत करने जैसा ही है।

कलीम सिद्दीक़ी।

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